भारत ने कहा- आतंक और अपराध का गठजोड़ वैश्विक संकट, निपटने के लिए समन्वय बढाएं

 भारत ने संयुक्त राष्ट्र (यूएन) और संघाई कॉपरेशन आर्गेनाइजेशन(एससीओ) के साझा कार्यक्रम में वैश्विक आतंक के मुद्दे पर बात रखी। यूएन में भारत के प्रतिनिधि सैय्यद अकबरुद्दीन ने कहा कि आतंकी संगठनों की आर्थिक गतिविधियों पर शून्य सहिष्णुता रखें। सम्मेलन का आयोजन आतंक, तस्करी एवं अन्य अपराधों के विषय पर चर्चा करने के लिए किया जा रहा है। उहोंने कहा कि आतंक से निपटने के लिए दोहरा मानक नहीं होना चाहिए। इसके लिए वैश्विक समुदाय को साथ मिलकर नए ट्रेंड और टेक्नोलोजी से आगे चलने की जरुरत है।


अकबरुद्दीन ने कहा, '' अमेरिका की ओर से आतंकवादी घोषित संगठन जैसे कि आईएसआईएल, अल-शबाब, अल-कायदा, बोको-हरम,लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद क्रॉस बोर्डर फाइनेंसिंग में लिप्त हैं। ये नई भर्तियां कर पूरे क्षेत्र को अस्थिर कर रहे हैं। आतंकी संगठन फंड जुटाने के लिए मानव तस्करी जैसी आपराधिक गतिविधियों में लिप्त हैं।''


आतंकी संगठनों की फंडिंग के लिए समन्वय हाे: अकबरुद्दीन


भारतीय प्रतिनिधि ने कहा, '' अपराधिक गिरोहों ने आतंकी संगठनों से हाथ मिला लिया है। ये ड्रग तस्करी, हथियारों का सौदा, लूटी कलाकृतियों की बिक्री, मनी लॉन्ड्रिंग और नकली मुद्रा के माध्यम से अवैध वित्तीय लेनदेन कर रहे हैं। स्थिति के अनुसार आपराधिक और आतंकी समूह एक दूसरे का सहयोग करते हैं।'' अकबरुद्दीन ने कहा कि आतंकी संगठनों को फंडिंग करने वाली संस्थाओं से निपटा जाना चाहिए। आतंकी फंडिंग रोकने के लिए यून के मौजूदा उपायों को अधिक पारदर्शी बनाने की जरुरत है।


भारत ने कहा- एक दूसरे की तकनीकी मदद करें


भारत ने यून राष्ट्राें को सुरक्षा परिषद का कार्यकाल बढाने का सुझाव दिया। अकबरुद्दीन ने आतंक से लड़ने में  क्रिप्टो करेंसी, इनक्रिप्टेड कॉम्न्युनिकेशन और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को नई चुनौती बताया। उन्होंने कहा कि हमारे पास वैश्विक संगठित अपराध से निपटने के लिए पर्याप्त संसाधन मौजूद हैं, लेकिन साइबर अपराध से निपटने की वैश्विक रणनीति का अभाव है। हमें एक दूसरे की तकनीकी मदद करने पर ध्यान देना चाहिए।